इक पल में कितने रूप बदलते है लोग यहाँ |
नक़ाब पर नक़ाब ओढे रहते है लोग यहाँ ||
निकलता है प्यार बाटनें को जो भी शख्स ,
नफ़रत भरी मुस्कान से स्वागत करते है लोग यहाँ |
मोहब्बत इक नियामत -ए - ख़ुदा है, सब कहते है,
आशिकों को फिर भी दीवाना कहते है लोग यहाँ |
झांक नही पाए, अभी ठीक से, दिल में अपने,
चाँद पर रहने की बात मगर करते है लोग यहाँ |
दो सच्चे प्रेमी जिन्हें गुनगुना भी नही सकते,
जीस्त-ए-साज़ पर ऐसे नगमें गाते है लोग यहाँ |
जो वहशीपन छुपा है इनके अपने दिल में अर्पण,
वैसा ही अक्स ओरों में देखते है लोग यहाँ |
----- "अर्पण" (3 jan. 1998)
नक़ाब पर नक़ाब ओढे रहते है लोग यहाँ ||
निकलता है प्यार बाटनें को जो भी शख्स ,
नफ़रत भरी मुस्कान से स्वागत करते है लोग यहाँ |
मोहब्बत इक नियामत -ए - ख़ुदा है, सब कहते है,
आशिकों को फिर भी दीवाना कहते है लोग यहाँ |
झांक नही पाए, अभी ठीक से, दिल में अपने,
चाँद पर रहने की बात मगर करते है लोग यहाँ |
दो सच्चे प्रेमी जिन्हें गुनगुना भी नही सकते,
जीस्त-ए-साज़ पर ऐसे नगमें गाते है लोग यहाँ |
जो वहशीपन छुपा है इनके अपने दिल में अर्पण,
वैसा ही अक्स ओरों में देखते है लोग यहाँ |
----- "अर्पण" (3 jan. 1998)
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