सच्चे प्यार का जिसे मोल नहीं |
ख़ुदा भी उसके लिए अनमोल नहीं ||
है वज़न बेज़ान चीजों का,
हवा, खुशबू, प्यार का, तोल नहीं |
नहीं हो सकता वो किसी का,
जिसके मुहं में मीठे बोल नही |
जिसकी आँख में चोकोर रुपया,
चाँद-सूरज भी उसके गोल नहीं |
ये शहर है पैसे वालों का,
दिल की गिरह "अर्पण" खोल नहीं |
--- "अर्पण" (25 Nov. 1999)
ख़ुदा भी उसके लिए अनमोल नहीं ||
है वज़न बेज़ान चीजों का,
हवा, खुशबू, प्यार का, तोल नहीं |
नहीं हो सकता वो किसी का,
जिसके मुहं में मीठे बोल नही |
जिसकी आँख में चोकोर रुपया,
चाँद-सूरज भी उसके गोल नहीं |
ये शहर है पैसे वालों का,
दिल की गिरह "अर्पण" खोल नहीं |
--- "अर्पण" (25 Nov. 1999)
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