जुदाई इस कदर सताएगी मालूम न था |
तू यूँ चली जाएगी मालूम न था ||
मन - मन्दिर की देवी समझा तुम्हे,
तू सचमुच पत्थर हो जाएगी मालूम न था |
लाई थी आते हुए अपने साथ सूरज आँखों में,
पीछे अपने अंधेरें छोड़ जाएगी मालूम न था |
तुझे हँसते देखा, तो सीखा मुस्कुराना मैंने,
अब ऐसे भी रुलाएगी, मालूम न था |
पागलों की तरह हर वक़्त बोलती थी तुम,
इस तरह ख़ामोश हो जाएगी, मालूम न था |
--"अर्पण" (27 Dec. 1999)
तू यूँ चली जाएगी मालूम न था ||
मन - मन्दिर की देवी समझा तुम्हे,
तू सचमुच पत्थर हो जाएगी मालूम न था |
लाई थी आते हुए अपने साथ सूरज आँखों में,
पीछे अपने अंधेरें छोड़ जाएगी मालूम न था |
तुझे हँसते देखा, तो सीखा मुस्कुराना मैंने,
अब ऐसे भी रुलाएगी, मालूम न था |
पागलों की तरह हर वक़्त बोलती थी तुम,
इस तरह ख़ामोश हो जाएगी, मालूम न था |
--"अर्पण" (27 Dec. 1999)
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