Thursday 16 May 2013

- कुछ रिश्ते

क्या  है,  सच  में,  ये  रिश्ते  भी |
पीस देते है हमको, खुद है पिसते भी |

कुछ रिश्ते विरासत में अपने साथ हम लाते है,

कुछ रिश्ते विरासत में अपने साथ गम लाते है |


कुछ ऐसे रिश्ते है, जिन्हें हम ख़ुद चुनते है,
और कभी-कभी रिश्ते खुद हमें चुन लेते है |

कुछ रिश्तों को हम मुसीबत में आजमाते है,
और कुछ रिश्ते मुसीबत में हमें आजमाते है|

कुछ रिश्ते तन्हाई में बहुत याद आते है,
और कुछ रिश्ते तन्हा होते ही गायब हो जाते है|

कुछ रिश्ते मौसम बदलते ही बिछुड़ जाते है,
                                पतझड़ के पत्ते की तरह,
कुछ रिश्ते कभी जुदा नहीं होते,
                                दो मिले हुए रंगों की तरह |

कुछ रिश्ते कल्पना बनकर तस्वीर में उतरते है,
कुछ रिश्ते अहसास बनकर नगमों में ढ़लते है |

कुछ रिश्ते कल्पनाओं तक ही रह जाते है,
कुछ रिश्ते वक़्त के दरिया में बह जाते है,

कुछ रिश्ते दिल से निकल कर,
            ज़माने  के  सामने आते है,
और कुछ रिश्ते कभी-कभी
             डायरी के पन्नो तक ही रह जाते है |

कुछ रिश्ते किसी भी अपमान से नहीं टूटते,
और कुछ रिश्ते बिना किसी बात के टूट जाते है |

 रिश्तों की गहराई हम कभी-कभी समझ नहीं पाते,|
और कभी कुछ रिश्ते चाहकर भी समझ नहीं आते |



क्या  है,  सच  में,  ये  रिश्ते  भी |
पीस देते है हमको, खुद है पिसते भी ||

                              
                                               ...."अर्पण" (28 Apr. to 25 May 2001)

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