I Miss You....
आज मैं अपने आप को बहुत तन्हा महसूस कर रहा हूँ, ये तुम्हारे प्यार की हार है | हालाँकि कुछ एक साये है जो बराबर मुझे बहलाने की कोशिश कर रहे है .....
---- तुम्हारी आवाज़, जो बहुत दिनों से नहीं सुनी मैंने, बराबर मुझे सदा दे रही है, कहाँ से ? मैं नहीं जानता | मगर रह-रह कर कह रही है.........
----तुम्हारी प्यारी, मासूम सूरत, जो बार-बार आँखों में उभर रही है| आँखें बंद करता हूँ तो और नुमायाँ हो जाती है|
----तुम्हारी हँसी, जो किसी शरीर भंवरें की तरह मेरे होठों पर मचल रही है | मैं हँसना नहीं चाहता मगर ये मजबूर कर रही है मुस्कुराने को |
----तुम्हारा स्पर्श, जो हर बार मुझे इक नया अहसास देकर जा रहा है | ऐसा अहसास, जिसे मैं खुद नही जानता की इसे कैसे महसूस करूँ| बस कुछ है जो मुझमें घुलता जा रहा है |
----तुम्हारी खुशबू, जो हर आती-जाती साँस के साथ मुझमे आ-जा रही है|
---तुम्हारे आँसू, जो अब भी मेरी आँखों से बह रहे है| हर आँसू में तुम्हारी ही तस्वीर है, तुम्हारी ही आँख का पानी है| ये आँसू इसलिए नही बह रहे है कि तुम बहुत दूर हो मुझसे, बल्कि इसलिए बह रहे है क्योंकि तुम मेरे पास नहीं हो.........
तुम नहीं हो तो कुछ भी सही नही है,
है सब - कुछ मगर फिर भी कमी है,
तुम क्या चले गये, कोई पास नही आता,
मैं किसी से, कोई मुझसे खुश नही है,
तुम ही आ - जा रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
आँखें बंद करके बैठा हूँ चुप - चाप,
कोयल भी चुप-चुप सी है आज,
उड़ने की कोशिश में फड़फड़ा भर पाए,
मेरी सोच के परिन्दें भूल गये परवाज़,
तन्हाई में बुला रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
ज़हन अज्ञात की तरफ भागा जा रहा है,
मैं दिल को, दिल मुझे समझा रहा है,
आँखें है तो पत्थर मगर गीली है,
आँसूं पानी होकर भी सूखा जा रहा है,
आँसू से धुँधला रहे हो|
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
तुमसे ही रोशन थी मेरी सुबह-ओ-शाम,
इस हिज्र में तेरे प्यार को सलाम,
हर दर्द, हर गम, भूल जाता था,
आँखें बंद करके जब लेता था तेरा नाम,
रोम-रोम में समा रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
आज मैं अपने आप को बहुत तन्हा महसूस कर रहा हूँ, ये तुम्हारे प्यार की हार है | हालाँकि कुछ एक साये है जो बराबर मुझे बहलाने की कोशिश कर रहे है .....
---- तुम्हारी आवाज़, जो बहुत दिनों से नहीं सुनी मैंने, बराबर मुझे सदा दे रही है, कहाँ से ? मैं नहीं जानता | मगर रह-रह कर कह रही है.........
----तुम्हारी प्यारी, मासूम सूरत, जो बार-बार आँखों में उभर रही है| आँखें बंद करता हूँ तो और नुमायाँ हो जाती है|
----तुम्हारी हँसी, जो किसी शरीर भंवरें की तरह मेरे होठों पर मचल रही है | मैं हँसना नहीं चाहता मगर ये मजबूर कर रही है मुस्कुराने को |
----तुम्हारा स्पर्श, जो हर बार मुझे इक नया अहसास देकर जा रहा है | ऐसा अहसास, जिसे मैं खुद नही जानता की इसे कैसे महसूस करूँ| बस कुछ है जो मुझमें घुलता जा रहा है |
----तुम्हारी खुशबू, जो हर आती-जाती साँस के साथ मुझमे आ-जा रही है|
---तुम्हारे आँसू, जो अब भी मेरी आँखों से बह रहे है| हर आँसू में तुम्हारी ही तस्वीर है, तुम्हारी ही आँख का पानी है| ये आँसू इसलिए नही बह रहे है कि तुम बहुत दूर हो मुझसे, बल्कि इसलिए बह रहे है क्योंकि तुम मेरे पास नहीं हो.........
तुम नहीं हो तो कुछ भी सही नही है,
है सब - कुछ मगर फिर भी कमी है,
तुम क्या चले गये, कोई पास नही आता,
मैं किसी से, कोई मुझसे खुश नही है,
तुम ही आ - जा रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
आँखें बंद करके बैठा हूँ चुप - चाप,
कोयल भी चुप-चुप सी है आज,
उड़ने की कोशिश में फड़फड़ा भर पाए,
मेरी सोच के परिन्दें भूल गये परवाज़,
तन्हाई में बुला रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
ज़हन अज्ञात की तरफ भागा जा रहा है,
मैं दिल को, दिल मुझे समझा रहा है,
आँखें है तो पत्थर मगर गीली है,
आँसूं पानी होकर भी सूखा जा रहा है,
आँसू से धुँधला रहे हो|
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
तुमसे ही रोशन थी मेरी सुबह-ओ-शाम,
इस हिज्र में तेरे प्यार को सलाम,
हर दर्द, हर गम, भूल जाता था,
आँखें बंद करके जब लेता था तेरा नाम,
रोम-रोम में समा रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||
---"अर्पण" (26 Dec. 1999)
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