तुम्हारा ये फैसला सिर माथे पर |
चल, अब और बात आगे कर ||
आप कहें तो रोक ले यहीं,
दिन जो रह गए है आधे भर |
ये मकाम प्यार का कैसे देख पाता,
आप ज़िन्दगी में न आते गर |
भूल गए मुझे वो, तो मजबूरी है,
ये बेवफाई होती, हम भुलाते गर |
बेशक़ मेरा घर, तेरे रास्ते में नहीं आता,
मिलते रहना, आते जाते मगर |
रह तो लूँ मैं बिन तुम्हारे,
दिल ये कहीं लागे अगर |
मानूं अपने प्यार को तब सच्चा,
दिल में तेरे सोई मोहब्बत जागे गर ||
---- "अर्पण" (11 jan. 2000)
चल, अब और बात आगे कर ||
आप कहें तो रोक ले यहीं,
दिन जो रह गए है आधे भर |
ये मकाम प्यार का कैसे देख पाता,
आप ज़िन्दगी में न आते गर |
भूल गए मुझे वो, तो मजबूरी है,
ये बेवफाई होती, हम भुलाते गर |
बेशक़ मेरा घर, तेरे रास्ते में नहीं आता,
मिलते रहना, आते जाते मगर |
रह तो लूँ मैं बिन तुम्हारे,
दिल ये कहीं लागे अगर |
मानूं अपने प्यार को तब सच्चा,
दिल में तेरे सोई मोहब्बत जागे गर ||
---- "अर्पण" (11 jan. 2000)
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