तुम्हे शिकायत है मुझसे,
कि मैं बहुत कम बोलता हूँ,
मगर क्या कभी तुमने देखा है,
उस रोशनी को, जो मेरी आँखों में होती है,
जब मैं सुनता हूँ तुम्हे |
कभी देखा है उस मुस्कराहट को,
जो मेरे होंठों पर आती है,
जब हँसती हो तुम |
कभी देखा है उन लगज़िशो को,
मेरी नीची निगाहों को,
जब तुम साथ होती हो मेरे |
तुम्हे शिकायत है मुझसे,
कि मैं बहुत कम बोलता हूँ.....
.....मगर,
मुझे शिकायत है तुमसे,
कि तुमने कभी सुना ही नहीं,
उस ख़ामोशी को,
जो कई बार मेरे लबों पर आई,
जो कई बार मेरी आँखों में आई,
वो ख़ामोशी,
जो कई बार हमारे दरम्यान आई,
तुमने इसे कभी सुना ही नहीं,
मुझे शिकायत है तुमसे.......
--- "अर्पण" (22 jan. 2001)
कि मैं बहुत कम बोलता हूँ,
मगर क्या कभी तुमने देखा है,
उस रोशनी को, जो मेरी आँखों में होती है,
जब मैं सुनता हूँ तुम्हे |
कभी देखा है उस मुस्कराहट को,
जो मेरे होंठों पर आती है,
जब हँसती हो तुम |
कभी देखा है उन लगज़िशो को,
मेरी नीची निगाहों को,
जब तुम साथ होती हो मेरे |
तुम्हे शिकायत है मुझसे,
कि मैं बहुत कम बोलता हूँ.....
.....मगर,
मुझे शिकायत है तुमसे,
कि तुमने कभी सुना ही नहीं,
उस ख़ामोशी को,
जो कई बार मेरे लबों पर आई,
जो कई बार मेरी आँखों में आई,
वो ख़ामोशी,
जो कई बार हमारे दरम्यान आई,
तुमने इसे कभी सुना ही नहीं,
मुझे शिकायत है तुमसे.......
--- "अर्पण" (22 jan. 2001)
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