Saturday 10 November 2012

नया साल ! 1999


लो आ गया नया साल,
अपने साथ नये दिन, 
नयी रातें भी लाया होगा |

मगर मैं चाहता हूँ,
ये नया साल, पुराने दिनों से,
वो लम्हे उधर ले ले,
जब हम तुम मिले थे,
जब हमने अपने सुख-दुःख,
आपस में बांटे थे |

जब मैं तुम्हारी ख़ुशी में हंसा था,
जब तुम मेरे गम में रोये थे |

मैं इन्हें बीते हुए दिन नहीं कहूँगा, 
ये मेरे लिए ज़िन्दगी भरे अहसास है,

जिन्हें मैंने,
बंद आँखों के गाँव में,
अहसासों के नील आसमां पर,
दोस्ती के बादलों के ऊपर,
एहतियात से रख छोड़े है |

जब दिल चाहता है,
आँखें बंद करता हूँ,
इन्हें महसूस करता हूँ,
और जी लेता हूँ |

लेकिन फिर भी दुआ करता हूँ,
नए साल के नए दिन,
और नई रातों के पल,
जैसे-जैसे गुजरे,

हमारा प्यार भी बढ़ता जाये,
टूटे   से   भी   टूट   न   पाए ||

                                                    -अर्पण 
(ये कविता मैंने अपने सभी दोस्तों के लिए लिखी थी )









No comments:

Post a Comment