आइना - ए - दिल टूटा सही,
इसमें कोई सूरत तो है।
ख़वाहिश उनकी ख़वाब सही,
ख़वाब मगर खूबसूरत तो है ।।
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कुछ पाने की अभिलाषा,
कुछ खोने का डर |
इन्हीं बातों में कट जायेगा,
जीवन का सफ़र ||
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24 Feb. 2001
लफ़्ज़ों पर
किसका जोर चला है ज़ज्बातों के सिवा,
लाईलाज़ मर्ज़ ठीक नहीं होते मुनाज़ातों के सिवा ।
एक अर्सा हुआ है उन्हें देखे उन्हें सुने हुए,
सब कुछ भूल चूका हु कुछ एक बातों के सिवा।।
(on the day of Jassi's marriage)
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9 March
2001
सब है
मेरे अपने खैरख्वाह |
मगर अपनापन
है जाने कहाँ ||
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13 June
2001
एक तेरी याद, याद रही |
बाकी सब भूल गया ||
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रहूँगा मैं
तुम्हारे साथ हमेशा परछाई बन कर |
तनहा जब
होगीं, आ जाऊँगा तन्हाई बन कर ||
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कहीं
कोई चुभ न जाये कांटा तुम्हारे पैर में,
आसमां जैसे
तेरे क़दमों में बिछना चाहता हूँ |
शिद्दत से
रुका है आँसुओं का सैलाब आँखों में,
कोई
कंधा मिले, सर रख के रोना चाहता हूँ ||
-अर्पण
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