Friday 9 November 2012

शेर-ओ-शायरी (2001)



आइना  - ए - दिल   टूटा  सही,
इसमें    कोई   सूरत   तो   है। 
ख़वाहिश  उनकी ख़वाब सही, 
ख़वाब मगर खूबसूरत तो है ।। 

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कुछ पाने की अभिलाषा,
कुछ    खोने    का    डर |
इन्हीं बातों में कट जायेगा,
जीवन     का       सफ़र ||

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24 Feb. 2001
लफ़्ज़ों पर किसका जोर चला है ज़ज्बातों के सिवा
लाईलाज़  मर्ज़ ठीक नहीं होते मुनाज़ातों के सिवा ।
एक  अर्सा  हुआ  है  उन्हें  देखे  उन्हें  सुने हुए,
सब कुछ भूल चूका हु कुछ एक बातों के  सिवा।। 
(on the day of Jassi's marriage)

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9 March 2001
सब  है  मेरे  अपने  खैरख्वाह |
मगर अपनापन है  जाने कहाँ ||


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13 June 2001
 एक तेरी याद, याद रही |
बाकी सब  भूल  गया ||

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रहूँगा मैं तुम्हारे साथ हमेशा परछाई बन कर |
तनहा जब होगीं, आ जाऊँगा तन्हाई बन कर ||

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कहीं  कोई  चुभ  न जाये कांटा तुम्हारे पैर में,
आसमां जैसे तेरे क़दमों में बिछना चाहता हूँ |
शिद्दत से रुका है आँसुओं का सैलाब आँखों में,
कोई  कंधा  मिले, सर रख के रोना चाहता हूँ ||

                                                                   -अर्पण
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