25 Oct. 1997
दिवाली के इस मुक़द्दस दिन, ख़ुदा करे,
दुनिया जहाँ की खुशियाँ तुम्हे नसीब हो |
किसी भी गम का साया न पड़े तुम पर,
तेरे सभी चाहने वाले, तुम्हारे करीब हो ||
======###======
13 Feb. 1998
एक ये चाँद है, और एक " वो " चाँद है |
ये हमसे दूर है, वो भी मगर पास नहीं ||
---
किसका जिक्र करूँ, किसको छोड़ दूँ |
तहरीर-ए-रुख किसकी ज़ानिब मोड़ दूँ ||
======###======
8 March 1998
खुशियाँ कितनी खुशियाँ देती है,
कभी-कभी तो आँसू निकल आते है |
आँसू मेरे गिरकर, दामन में तेरे,
सच्चे मोती बन जाते है ||
======###======
4 April 1998
अतीत के काले बादलों पर,
आपकी कुछ यादें रख छोड़ी थी |
तेरे ख़यालों का सावन आया,
और ये जी भर के बरसी ||
---
तेरे बाद भी तेरी गली में जाना न भूले |
तू भूले तो भूले, लेकिन तेरी गली न भूले ||
======###======
6 April 1998
आपसे ज्यादा, हमारा आपके गम से नाता है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर ये मुझे बुलाता है |
मेरी तन्हाईयों का बड़ा दुश्मन है ये,
जब ज़रा से तन्हा हुए, चला आता है ||
---
अपने प्यार की मजबूरियों का,
हम भला किसको दोष दें |
हमारे दरम्यान फ़ासले इतने थे,
कि मजबूरियां भी बहुत मजबूर थी ||
---
आपकी जुदाई का गम मुझसे,
इक पल की भी जुदाई सहन नहीं करता ||
======###======
16 april 1998
सोचा है कुछ ऐसा, हम कर जायेंगे,
शोहरत पाकर सारी, आपके नाम कर जायेंगे |
आप इस तरह मुझसे जुड़ जायेंगे,
दुनिया वाले मुझे तेरे नाम से बुलाएंगे ||
-अर्पण
======###======
23 April 1998
आप न थे तो समझते थे, की बहुत तन्हा हो गए |
दिवाली के इस मुक़द्दस दिन, ख़ुदा करे,
दुनिया जहाँ की खुशियाँ तुम्हे नसीब हो |
किसी भी गम का साया न पड़े तुम पर,
तेरे सभी चाहने वाले, तुम्हारे करीब हो ||
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13 Feb. 1998
एक ये चाँद है, और एक " वो " चाँद है |
ये हमसे दूर है, वो भी मगर पास नहीं ||
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किसका जिक्र करूँ, किसको छोड़ दूँ |
तहरीर-ए-रुख किसकी ज़ानिब मोड़ दूँ ||
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8 March 1998
खुशियाँ कितनी खुशियाँ देती है,
कभी-कभी तो आँसू निकल आते है |
आँसू मेरे गिरकर, दामन में तेरे,
सच्चे मोती बन जाते है ||
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4 April 1998
अतीत के काले बादलों पर,
आपकी कुछ यादें रख छोड़ी थी |
तेरे ख़यालों का सावन आया,
और ये जी भर के बरसी ||
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तेरे बाद भी तेरी गली में जाना न भूले |
तू भूले तो भूले, लेकिन तेरी गली न भूले ||
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6 April 1998
आपसे ज्यादा, हमारा आपके गम से नाता है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर ये मुझे बुलाता है |
मेरी तन्हाईयों का बड़ा दुश्मन है ये,
जब ज़रा से तन्हा हुए, चला आता है ||
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अपने प्यार की मजबूरियों का,
हम भला किसको दोष दें |
हमारे दरम्यान फ़ासले इतने थे,
कि मजबूरियां भी बहुत मजबूर थी ||
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आपकी जुदाई का गम मुझसे,
इक पल की भी जुदाई सहन नहीं करता ||
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16 april 1998
सोचा है कुछ ऐसा, हम कर जायेंगे,
शोहरत पाकर सारी, आपके नाम कर जायेंगे |
आप इस तरह मुझसे जुड़ जायेंगे,
दुनिया वाले मुझे तेरे नाम से बुलाएंगे ||
-अर्पण
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23 April 1998
आप न थे तो समझते थे, की बहुत तन्हा हो गए |
आपसे मिले तो देखा,अपनी तन्हाईयों से भी जुदा हो गए ||
---
कुछ पलों, का, साथ, उम्र भर की सौगात,
इतने सारे गम, बाँटें किसके साथ |
अजनबियों की भीड़ में अपना दिखता नहीं,
पराए चेहरों से कैसे मिला लें हाथ ||
======###======
9 May 1998
मन के उड़ते परिंदों को,
कहाँ तक काबू में रखें |
आपकी याद आयी नहीं की,
सातवें आसमां पर पहुचे नहीं ||
---
आप तो आप है, मुझे याद करके भूल गए |
और एक हम है, आपको भुला के भी भुला न सके ||
======###======
20 May 1998
कहाँ भूल पाता है वो आवारा ज़माना,
जवानी में ज़ी को, जी भर के सताना |
दर्द ज़िन्दगी के क़रीब है जितना
उतना क़रीब, तेरे चाहता था, मैं आना ||
======###======
10 July 1998
लोग नाहक ही दर-बदर ढूंढते फिरते है,
तेरा घर ज़न्नत, तेरे माँ-बाप फ़रि श्ते है |
क्या करोगे जाकर मन्दिर में, मस्जिद में,
सच्चे दिल से निभाओ जो घर के रिश्ते है ||
======###======
30 Aug. 1998
जो कुछ नहीं लगते, वही अपने है,
नींद में आये हुए, जैसे सपने है |
डूबने वाले डूब जाते है लेकिन,
साहिल की तमन्ना की सबने है ||
======###======
1 Sept. 1998
एक मुद्दत बाद कुछ अच्छा लिखा है,
कागज़ में जब चेहरा आपका दिखा है |
आपकी दिल-अज़ीज़ यादें बन गई कलम,
अश्कों ने बन के स्याही, अफसाना लिखा है ||
======###======
8 Sept. 1998
इंसान जिन्हें महसूस करता है ,
उन्हें सबसे मखसूस करता है |
सुख देता है, दुनिया ज़हान के,
ग़मों से उन्हें दूर रखता है ||
======###======
11 Sept. 1998
तन्हाईयों में तुम अक्सर याद आते हो,
नींद में आकर मुझको जगा जाते हो ||
---
इजहारे-तमन्ना ना करके ये हासिल है |
उनकी मोहब्बत का दिल में भ्रम बाकी है ||
======###======
4 Oct. 1998
हवा जब चली सभी बादल उड़ गए,
रोने को थे तैयार, मगर रुक गए |
जाने क्या रिश्ता है दोनों के बीच में,
दोस्त है कभी, कभी दुश्मन बन गए ||
======###======
17 Oct. 1998
भगवान कितने ग़म है तेरी दुनिया में,
हर आँख नम है, तेरी दुनिया में |
हर कदम पर कांटे बिछाने वाले लोग,
फ़रिश्ते है मगर कम है तेरी दुनिया में |
---
जो भी दिल सोचे वो कर गुजरो,
अच्छा या बुरा है बाद में सोचो |
इंसानियत ढूंढने निकलो जब भी,
सबसे पहले अपने दिल में खोजो ||
======###=====
19 Oct. 1998
मैं नहीं जानता मैं तेरा रास्ता हूँ या मंजिल,
चाहता हूँ इक बार तू इधर से गुजर जाये |
याद जब मेरी आये पलकों को दबा लेना,
आँखों में कहीं अश्कों के सैलाब न ठहर जाये ||
======###======
31 Oct. 1998
जब भी देखता हूँ, तू नई सी लगती है,
दुनिया मौत, तू ज़िन्दगी सी लगती है |
मौत तो चलो मेरी महबूबा है, मगर,
ए ज़िन्दगी तू मेरी क्या लगती है ||
======###======
18 Dec. 1998
एक शाम आप बहुत याद आये |
सूखे हुए अश्क आँखों से निकल आये ||
---
ख़ामोशी से बैठकर एक-दूजे के रू-ब-रू |
करेंगें हम आँखों से गुफ्तगू ||
---
मैं तुमसे मिलूं, तुम मुझसे मिलो,
जब भी मिलो, मिल कर मिलो |
सफ़र पे ही मिलते है हमसफ़र,
गर चलना पड़े, तो अकेले भी चलो ||
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25 Dec. 1998
जो ख़वाब, ख़वाब ही में टूट जाते है,
सुबह उठते ही बेइंतहा याद आते है |
सुना है प्यार भरे दिलों में खुदा रहता है,
मगर अक्सर ये मन्दिर टूट जाते है ||
---
कुछ पलों, का, साथ, उम्र भर की सौगात,
इतने सारे गम, बाँटें किसके साथ |
अजनबियों की भीड़ में अपना दिखता नहीं,
पराए चेहरों से कैसे मिला लें हाथ ||
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9 May 1998
मन के उड़ते परिंदों को,
कहाँ तक काबू में रखें |
आपकी याद आयी नहीं की,
सातवें आसमां पर पहुचे नहीं ||
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आप तो आप है, मुझे याद करके भूल गए |
और एक हम है, आपको भुला के भी भुला न सके ||
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20 May 1998
कहाँ भूल पाता है वो आवारा ज़माना,
जवानी में ज़ी को, जी भर के सताना |
दर्द ज़िन्दगी के क़रीब है जितना
उतना क़रीब, तेरे चाहता था, मैं आना ||
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10 July 1998
लोग नाहक ही दर-बदर ढूंढते फिरते है,
तेरा घर ज़न्नत, तेरे माँ-बाप फ़रि श्ते है |
क्या करोगे जाकर मन्दिर में, मस्जिद में,
सच्चे दिल से निभाओ जो घर के रिश्ते है ||
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30 Aug. 1998
जो कुछ नहीं लगते, वही अपने है,
नींद में आये हुए, जैसे सपने है |
डूबने वाले डूब जाते है लेकिन,
साहिल की तमन्ना की सबने है ||
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1 Sept. 1998
एक मुद्दत बाद कुछ अच्छा लिखा है,
कागज़ में जब चेहरा आपका दिखा है |
आपकी दिल-अज़ीज़ यादें बन गई कलम,
अश्कों ने बन के स्याही, अफसाना लिखा है ||
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8 Sept. 1998
इंसान जिन्हें महसूस करता है ,
उन्हें सबसे मखसूस करता है |
सुख देता है, दुनिया ज़हान के,
ग़मों से उन्हें दूर रखता है ||
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11 Sept. 1998
तन्हाईयों में तुम अक्सर याद आते हो,
नींद में आकर मुझको जगा जाते हो ||
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इजहारे-तमन्ना ना करके ये हासिल है |
उनकी मोहब्बत का दिल में भ्रम बाकी है ||
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4 Oct. 1998
हवा जब चली सभी बादल उड़ गए,
रोने को थे तैयार, मगर रुक गए |
जाने क्या रिश्ता है दोनों के बीच में,
दोस्त है कभी, कभी दुश्मन बन गए ||
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17 Oct. 1998
भगवान कितने ग़म है तेरी दुनिया में,
हर आँख नम है, तेरी दुनिया में |
हर कदम पर कांटे बिछाने वाले लोग,
फ़रिश्ते है मगर कम है तेरी दुनिया में |
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जो भी दिल सोचे वो कर गुजरो,
अच्छा या बुरा है बाद में सोचो |
इंसानियत ढूंढने निकलो जब भी,
सबसे पहले अपने दिल में खोजो ||
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19 Oct. 1998
मैं नहीं जानता मैं तेरा रास्ता हूँ या मंजिल,
चाहता हूँ इक बार तू इधर से गुजर जाये |
याद जब मेरी आये पलकों को दबा लेना,
आँखों में कहीं अश्कों के सैलाब न ठहर जाये ||
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31 Oct. 1998
जब भी देखता हूँ, तू नई सी लगती है,
दुनिया मौत, तू ज़िन्दगी सी लगती है |
मौत तो चलो मेरी महबूबा है, मगर,
ए ज़िन्दगी तू मेरी क्या लगती है ||
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18 Dec. 1998
एक शाम आप बहुत याद आये |
सूखे हुए अश्क आँखों से निकल आये ||
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ख़ामोशी से बैठकर एक-दूजे के रू-ब-रू |
करेंगें हम आँखों से गुफ्तगू ||
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मैं तुमसे मिलूं, तुम मुझसे मिलो,
जब भी मिलो, मिल कर मिलो |
सफ़र पे ही मिलते है हमसफ़र,
गर चलना पड़े, तो अकेले भी चलो ||
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25 Dec. 1998
जो ख़वाब, ख़वाब ही में टूट जाते है,
सुबह उठते ही बेइंतहा याद आते है |
सुना है प्यार भरे दिलों में खुदा रहता है,
मगर अक्सर ये मन्दिर टूट जाते है ||
-अर्पण
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