Thursday 8 November 2012

शेर-ओ-शायरी (1997-98)


25 Oct. 1997
दिवाली  के इस मुक़द्दस दिन,  ख़ुदा करे,
दुनिया जहाँ की खुशियाँ तुम्हे नसीब हो |
किसी  भी  गम का साया न पड़े तुम पर,
तेरे सभी चाहने वाले, तुम्हारे करीब हो ||

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13 Feb. 1998
एक ये चाँद है, और एक " वो " चाँद है |
ये हमसे दूर है, वो भी मगर पास नहीं ||

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किसका  जिक्र  करूँ, किसको  छोड़  दूँ |
तहरीर-ए-रुख किसकी ज़ानिब मोड़ दूँ ||

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8 March 1998
खुशियाँ   कितनी  खुशियाँ  देती  है,
कभी-कभी तो आँसू निकल आते है |
आँसू  मेरे  गिरकर,  दामन  में  तेरे,
सच्चे     मोती     बन     जाते     है ||

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4 April 1998
अतीत   के   काले   बादलों   पर,
आपकी  कुछ यादें रख छोड़ी थी |
तेरे  ख़यालों  का  सावन  आया,
और   ये   जी   भर   के   बरसी ||

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तेरे  बाद  भी  तेरी  गली में जाना न भूले |
तू भूले तो भूले, लेकिन तेरी गली न भूले ||

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6 April 1998
आपसे ज्यादा, हमारा आपके गम से नाता है,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर  ये  मुझे  बुलाता है |
मेरी    तन्हाईयों   का   बड़ा   दुश्मन   है   ये,
जब   ज़रा   से  तन्हा   हुए,  चला  आता  है ||

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अपने   प्यार   की   मजबूरियों   का,
 हम     भला      किसको     दोष   दें |
हमारे   दरम्यान   फ़ासले  इतने  थे,
कि मजबूरियां भी बहुत मजबूर थी ||

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आपकी     जुदाई     का      गम     मुझसे,
इक पल की भी जुदाई सहन नहीं करता ||

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16 april 1998
सोचा   है   कुछ   ऐसा,   हम    कर    जायेंगे,
शोहरत पाकर सारी, आपके नाम कर जायेंगे |
आप     इस     तरह    मुझसे    जुड़    जायेंगे,
दुनिया   वाले   मुझे   तेरे   नाम  से  बुलाएंगे ||
                                                        -अर्पण 

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23 April 1998
आप   न   थे   तो  समझते  थे,  की  बहुत  तन्हा  हो  गए |
आपसे मिले तो देखा,अपनी तन्हाईयों से भी जुदा हो गए ||
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कुछ  पलों,  का, साथ, उम्र भर की सौगात,
इतने   सारे   गम,   बाँटें    किसके    साथ |
अजनबियों की भीड़ में अपना दिखता नहीं,
पराए   चेहरों   से   कैसे   मिला   लें  हाथ ||

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9 May 1998
मन    के    उड़ते   परिंदों   को,
कहाँ    तक    काबू    में    रखें |
आपकी   याद  आयी  नहीं  की,
सातवें आसमां पर पहुचे नहीं ||
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आप  तो  आप  है,   मुझे  याद  करके   भूल   गए |
और एक हम है, आपको भुला के भी भुला न सके ||

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20 May 1998
कहाँ  भूल पाता है  वो आवारा ज़माना,
जवानी  में  ज़ी को, जी भर के सताना |
दर्द   ज़िन्दगी   के   क़रीब  है   जितना
उतना क़रीब, तेरे चाहता था, मैं आना ||

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10 July 1998
लोग  नाहक ही  दर-बदर  ढूंढते  फिरते  है,
तेरा  घर  ज़न्नत, तेरे माँ-बाप फ़रि श्ते है |
क्या करोगे जाकर मन्दिर में, मस्जिद में,
सच्चे दिल से निभाओ जो घर के रिश्ते है ||

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30 Aug. 1998
जो कुछ नहीं लगते, वही अपने है,
नींद  में  आये  हुए, जैसे सपने है |
डूबने वाले  डूब  जाते   है  लेकिन,
साहिल  की तमन्ना की सबने है ||

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1 Sept. 1998
एक   मुद्दत   बाद   कुछ   अच्छा   लिखा   है,
कागज़   में   जब   चेहरा   आपका   दिखा है |
आपकी  दिल-अज़ीज़  यादें  बन  गई  कलम,
अश्कों ने बन के स्याही, अफसाना लिखा है ||

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8 Sept. 1998
इंसान जिन्हें महसूस करता है ,
उन्हें  सबसे  मखसूस करता है |
सुख  देता है,  दुनिया ज़हान  के,
ग़मों   से   उन्हें  दूर  रखता  है ||

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11 Sept. 1998
तन्हाईयों में तुम अक्सर याद आते हो,
नींद में आकर मुझको  जगा  जाते  हो ||
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इजहारे-तमन्ना ना करके ये हासिल है |
उनकी मोहब्बत का दिल में भ्रम बाकी है ||

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4 Oct. 1998
हवा जब चली सभी बादल उड़ गए,
रोने को थे  तैयार,  मगर रुक गए |
जाने क्या रिश्ता है दोनों के बीच में,
दोस्त है कभी, कभी दुश्मन बन गए ||

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17 Oct. 1998
भगवान कितने ग़म है तेरी दुनिया में,
हर   आँख   नम   है,  तेरी  दुनिया  में |
हर कदम पर  कांटे बिछाने वाले लोग,
फ़रिश्ते है मगर कम है तेरी दुनिया में |
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जो  भी  दिल  सोचे  वो कर गुजरो,
अच्छा  या  बुरा  है  बाद  में सोचो |
इंसानियत  ढूंढने निकलो जब भी,
सबसे पहले अपने दिल में खोजो ||

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19 Oct. 1998
मैं नहीं जानता  मैं  तेरा  रास्ता हूँ या मंजिल,
चाहता  हूँ  इक  बार  तू  इधर से गुजर जाये |
याद  जब  मेरी  आये  पलकों  को  दबा  लेना,
आँखों में कहीं अश्कों के सैलाब न ठहर जाये ||

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31 Oct. 1998
जब  भी  देखता हूँ, तू नई सी लगती है,
दुनिया मौत, तू ज़िन्दगी सी लगती है |
मौत  तो  चलो  मेरी  महबूबा  है, मगर,
ए  ज़िन्दगी  तू  मेरी  क्या  लगती  है ||

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18 Dec. 1998
एक   शाम   आप   बहुत   याद   आये |
सूखे हुए अश्क आँखों से निकल आये ||
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ख़ामोशी से बैठकर एक-दूजे के रू-ब-रू |
करेंगें     हम     आँखों     से     गुफ्तगू  ||
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मैं तुमसे मिलूं, तुम मुझसे मिलो,
जब  भी  मिलो,  मिल  कर  मिलो |
सफ़र  पे  ही  मिलते  है  हमसफ़र,
गर चलना पड़े, तो अकेले भी चलो ||

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25 Dec. 1998
जो  ख़वाब,  ख़वाब  ही  में  टूट जाते है,
सुबह  उठते  ही  बेइंतहा  याद  आते  है |
सुना है प्यार भरे दिलों में खुदा रहता है,
मगर अक्सर  ये  मन्दिर  टूट  जाते  है ||
                                                  -अर्पण

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