Thursday 15 November 2012

याद आ रहे हो -2


जुदाई में आपकी क्या-क्या सह गए है,
प्यार  कर  के,  अब  हम  थक  गए  है,
तेरी   ही   गली   में  आकर  ठहर  गई,
हवा  के  संग  हम  जब - जब  गए  है,

खुशबू  से  महका  रहे  हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||

चाँद जाने क्यों आज उदास-उदास है,
हवा  में  भी आज अजीब सी प्यास है,
शब  कुछ   ज्यादा   गहरी   है   आज,
सहर आएगी, इसकी भी कहाँ आस है,

सांस  से  अटका  रहे   हो |
तुम बहुत याद आ रहे हो ||

दिल का दर्द निकला आँखों के रास्ते,
क्या - क्या  मैं  सह  गया तेरे वास्ते,
ख़वाब  में  भी  कहाँ  सोचा  था  मैंने,
मेरी डगर से अलग होंगे  तेरे  रास्ते,

रास्ते से वापिस आ रहे हो |
तुम बहुत याद  आ रहे हो ||

बुलाता हूँ किसी को,नाम तेरा निकलता है,
आईने   में    भी  तेरा  अक्स   दिखता   है,
दिल  गायब  हो जाता है, सीने से हर रोज़,
ढूंढ़ता   हूँ  तो  तेरी  गली  में  मिलता   है,

अश्क से सूखते जा रहे हो |
तुम बहुत याद आ रहे  हो ||

                                                             -अर्पण (1 जनवरी 2000)








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