मेरी एक अभिलाषा है |
जो किसी भी शख्स को नहीं बताई मैंने,
छुपाकर रखी है सबसे, दिल के तहख़ाने में,
सूरज की रोशनी भी वहां तक जाती नहीं,
मेरा प्यार मसरूफ़ है उसे रास्ता दिखाने में,
निराशा के बीच आशा है |
मेरी एक अभिलाषा है ||
तन्हाई में मैं बस इसी से बातें करता हूँ,
जब ये बोलती है, चुप रह कर सुनता हूँ,
इसके आँसू पोंछना, इस को मनाना,
इसको खुशियाँ देना, बस यही करता हूँ,
आँखों की मूक भाषा है |
मेरी एक अभिलाषा है ||
ये अभिलाषा ले जाती है बादलों के उस पार,
कभी खींच लेती है, रिमझिम-2 बरसात में,
हंसती है जब तो पूरी कायनात हंसती है,
रो पड़ती है कभी - कभी बात ही बात में,
दिल की जिज्ञासा है |
मेरी एक अभिलाषा है ||
ये अभिलाषा, जो मेरी ज़िन्दगी का सार है,
जिसके ग़मों से मुझे बेइन्तहा प्यार है,
मेरी रूह के सहरा में जो भटकती है,
यही मेरी प्यास, यही मेरा आबशार* है,
रूह की भाषा है |
मेरी एक अभिलाषा है ||
-अर्पण (21st July 1999 )
*आबशार = मीठे पानी का झरना
No comments:
Post a Comment