Tuesday 13 November 2012

ख़ुशी !

खुशियाँ ज़िन्दगी की,
किसमें है ?
        क्या है ?
           कैसे है ?,

खुशियाँ छिपी है,
त्योहारों में, मिलन में, प्यार में,
दोस्ती में, एक-दूजे के एतबार में,

ख़ुशी सपनों की, 
ख़ुशी अपनों की,

ख़ुशी पैसे की,
कभी-कभी ऐसे ही,

ख़ुशी खुशियों की,
कभी-कभी गम की भी,

ये खुशियाँ और,
कुछ ऐसी ही और खुशियाँ,
कितनी ख़ुशी देती है,
कभी-कभी तो आँसूं निकल आते है ||
                                                       -अर्पण (26 - 28 Feb 1999)


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ख़ुशी तुम वाकई खशी हो,
कितनी खुशियाँ दी है तुमने मुझे,
गम भी दिए,
तो वो भी मुस्कराकर,

कितने करीब हो तुम मेरे,
इतनी,
कि तुम्हारी सांसों की गर्मी,
को महसूस करता हूँ मैं,
फिर ठंडी सी आह भरता हूँ मैं,

ये सोचकर - कि तुम, तुम हो,
या कोई और ||

-अर्पण (28 Feb. 1999 )


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