Tuesday 13 November 2012

अभिलाषा

मैंने  जब  देखा  तुम्हे  पहले-पहल |
कई   रंग   आँखों   में   गये  मचल ||

ख़ुद को  भुलाकर  याद  तुम्हे  रखा,
कैसे   थे   वो   लम्हे,  कैसे  थे पल |

कब  कहता  हूँ  उम्र  भर  के   लिए,
कुछ   दूर  तो   मगर   साथ   चल |

नींद की परियां पलकों पे उतरने लगी,
इक  परी  बोली - आँखें बंद कर, चल |

एक ही अभिलाषा है मेरे जीवन की |
मेरी बंद आँखों पर तुम्हारा आँचल ||

                                          -अर्पण (20 - 21 May 1999 )


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