मैंने जब देखा तुम्हे पहले-पहल |
कई रंग आँखों में गये मचल ||
ख़ुद को भुलाकर याद तुम्हे रखा,
कैसे थे वो लम्हे, कैसे थे पल |
कब कहता हूँ उम्र भर के लिए,
कुछ दूर तो मगर साथ चल |
नींद की परियां पलकों पे उतरने लगी,
इक परी बोली - आँखें बंद कर, चल |
एक ही अभिलाषा है मेरे जीवन की |
मेरी बंद आँखों पर तुम्हारा आँचल ||
-अर्पण (20 - 21 May 1999 )
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