Tuesday 13 November 2012

अनमोल घड़ी !

तुम बदल जाओगे,
तो मेरे लिए, ये दुनिया ही बदल जाएगी |

मेरी दुनिया सिर्फ,
तुम तक ही सिमित है,
इस दुनिया में तो, मैं सिर्फ,
दिखाने  के  लिए  जीता  हूँ,

मगर,
तुम्हारी दुनिया की,
बात ही अलग है,

रातें महकती है मेरी,
तुम्हारी यादों की खुशबू से,
दिन की शुरुआत,
तुम्हारा नाम लेकर करता हूँ,

एक पल भी ऐसा नहीं गुजरता,
जब मैं तुम्हे याद नहीं करता,

तुम्हारी बातें, तुम्हारी खुशबू,
तुम्हारा पागलपन, तुम्हारी हसीं,
तुम्हारे आँसू, तुम्हारी भावनाएं,
तुम्हारी लड़ाई, तुम्हारा प्यार,
ये सब-कुछ मैं कैसे भुला पाऊँगा,

चाहता हूँ मैं बस इतना,
कि तुम्हे इस दुनिया से बचा लूँ,
तुम्हे दूँ सिर्फ हँसी, सिर्फ मुस्कुराहट,
बदले में मैं, कुछ भी नहीं चाहता,

लेकिन गर दोगी, तो,
इनकार भी कैसे कर पाऊँगा,
बल्कि मुझे ख़ुशी ही होगी,
और वो घड़ी,
मेरी ज़िन्दगी की, अनमोल घड़ी होगी ||

                                                    -अर्पण (10 जून 1999)














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