Thursday 15 November 2012

लौट आता हूँ मैं !



न जाने, क्या है तुझमे, बार - बार,
तुम्हारी तरफ, लौट  आता  हूँ  मैं |

कितना  ही  आपस  में झगड़ लें हम,
कितना ही एक-दूजे से रूठ जाए हम,
कितना    ही,  मैं    खा    लूँ    कसमें,
कि  एक - दूजे  से  नहीं  मिलेंगे हम,

कसमें  भूल  जाता  हूँ  मैं |
फिर  लौट  आता   हूँ   मैं ||


हर  नापसंद   बात   पर   तुम्हे   डांटना,
मेरी  हर  डांट  पर  तुम्हारे  आँसू बहना,
वो  हर  पल  दुआएँ  करना  मिलने  की,
और जब भी मिलना तो लड़ना-झगड़ना,

झगड़े  भूल  जाता  हूँ   मैं |
फिर  लौट  आता   हूँ   मैं ||


एक-दुसरे से बिल्कुल अलग है हम,
तुम  उतर  हो,  तो   मैं   दक्षिण   हूँ,
कैसे एक - दुसरे  से मिल जाएँ हम,
तुम  पूरब  हो  तो  मैं   पश्चिम   हूँ,

दिशाएं  भूल  जाता  हूँ  मैं |
फिर  लौट  आता   हूँ   मैं ||


                                      -अर्पण (31 Aug. 1999 ) 









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